[2024] दोस्ती को कहानीयॉ | Doston ki kahani | Stories on Friendship | Best friends Story in hindi

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दोस्ती की कहानियां (friendship Stories) पढ़ने से हमे दोस्ती निभाने की सिख मिलती है।

हम ऐसी ही कुछ Best Friends की कहानियां बनाएंगे जो शायद आपको भी एक अच्छा दोस्त बनने में मदद करेगी।

कई कहानी दो अच्छे दोस्तो (Two Best Friends) के बारे में है और कही कहानी दोस्ती निभाने की है।

अगर आपको ये दोस्ती की कहानियां (Stories about Friendship) आपको पसंद आए तो जरूर कॉमेंट करके बताए एवम् अपने सबसे अच्छे दोस्त (Close friend) के साथ शेयर भी करे।

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माफ करके दोस्ती निभाने वाली कहानी

एक बार की बात है, दो बहुत ही अच्छे दोस्त एक गहरे रेगिस्तान से गुजर रहे थे।

चलते चलते कुछ दूरी पर दोनों में किसी बात को लेकर झगड़ा होने लगा जैसे कि हर दोस्तों के बीच में होता है। जब दो लोग आपस में एक ही बात पर सहमत नहीं होते है।

तो गुस्से में एक दोस्त है दूसरे दोस्त के गाल पर थप्पड़ मार दिया।
थप्पड़ खा कर भी वह दोस्त उससे कुछ नहीं बोला बस उसने रेत पर लिखा: "आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा।"

थोड़ी देर दोनों एक दूसरे से बिना बात किये आगे चलते रहे लेकिन थप्पड़ खाने वाले दोस्त ने बात करना शुरू किया और बोला कि कोई बात नहीं दोस्ती में हो जाता है।

यह सुनकर थप्पड़ मारने वाले दोस्त ने उस से माफी मांगी।

सब कुछ नॉर्मल हो जाने पर दोनों बात करते करते एक तालाब के पास पहुंचे।

गर्मी बहुत थी इसलिए दोनों ने सोचा कि इस तालाब में नहा लेते हैं ।

नहाते नहाते थप्पड़ खाने वाले दोस्त का पैर तालाब में कहीं फंस गया जिससे वो डूबने लगा।

थप्पड़ मारने वाले दोस्त ने उसे किसी तरह बचा लिया और पानी से निकलने के थोड़ी देर के बाद जैसे ही वह नॉर्मल हुआ उसने एक पत्थर पर लिख दिया की : "आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई।"

तो थप्पड़ मारने वाले दोस्त ने पूछा कि जब मैंने तुझे थप्पड़ मारा तो तूने रेत में लिख दिया और अब जब मैंने तुझे बचाया तो तूने पत्थर पर लिख दिया इसका मतलब समझ नहीं पाया।

तो उसने बड़ी विनम्रता से जवाब दिया दोस्तों के बीच में बहुत सी बातें होती हैं झगड़े भी होते हैं लेकिन अगर तुम्हारी दोस्ती सच्ची है तो पुरानी एवं बेकार बातो को भूला देनी चाहिए और अच्छी बातें याद रखनी चाहिए।

इसलिए जब तुने मुझे थप्पड़ मारा तो वह मैंने रेत पर लिख दिया ताकि हवा के साथ वह बातें मिट जाए और जब तुने मुझे बचाया तो वह कभी मिटना नहीं चाहिए इसलिए मैंने उसे पत्थर कर लिख दिया।

मोरल : दोस्ती में अलग एक से गलती हो जाते तो कोशिश करे को उसे समझाए, अगर खुद गलत है तो माफी मांग लेनी चाहिए। 

जिंदगी में कुछ करने की कहानी

Two best friends

एक बार एक गाँव में दो सबसे अच्छे दोस्त थे, वे ज्यादातर समय एक पेड़ के नीचे आराम करने और यह सोचने में बिताते थे, कि उन्हें अपने जीवन में क्या करना चाहिए।


इसी तरह सोचने में वे पहले ही अपना बहुत सारा कीमती समय गंवा चुके थे।

तो, एक दिन उन्होंने देखा कि गाँव की औरतें पैदल चलकर गांव से दूर नदी से बर्तनों में पानी भरकर लाती थीं ।

क्योंकि नदी गांव से बहुत दूर थी इसलिए वे कितने भी चक्कर लगा लें, पानी कभी भी परिवार की दैनिक जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं होता था।

अब, उनको एक विचार आया । वे गांव गए और गांव के लोगों को बोला कि हम दो बहुत अच्छे दोस्त है।

अगर आप लोग चाहो तो हम दोनों दोस्त नदी से पानी भरकर आपके घर तक पहुंचा देंगे बदले में आप हमें प्रति बर्तन पानी का ₹25 दें देना। 

प्रस्ताव सभी को पसंद आया क्योंकि अब घर की औरतों को इतना दूर जाने की जरूरत नहीं है और घर बैठे बैठे पानी भी मिल जाएगा और धीरे धीरे उनका यह व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ता है, वे रोजाना 50 से 100 चक्कर लगाने लगे।

दिन बीत गए, साल बीत गए और 10 साल बाद, वे दोनो दोस्त करीबी गांवों में सबसे अमीर हो गए थे।

लेकिन तभी एक दोस्त को एहसास हुआ कि उन्हें कुछ अलग करने की जरूरत है, क्युकी अभी तो वे स्वस्थ और युवा हैं लेकिन वे हमेशा के लिए ऐसे नहीं रहेंगे, फिर हमारे परिवार का क्या होगा।

तो उसने अपने दूसरे दोस्त को इस बारे में बताया, लेकिन दूसरे ने कहा कि भूल जाओ, कुछ भी बुरा नहीं होने वाला है। इस समय का आनंद लें, हम बहुत अच्छा कर रहे हैं।

लेकिन पहले वाला दोस्त कुछ नहीं जानता लेकिन फिर भी विकल्प खोजने लगा। कुछ दिनों बाद, एक पड़ोसी गाँव में, उसने एक कुम्हार को बर्तन बनाते हुए देखा और एक लंबी संकरी गर्दन वाला एक बर्तन देखा।

उसने सोचा कि क्या होगा अगर हम मिट्टी का एक बड़ा लंबा पाइप बनाकर नदी से गांव तक ला दें।

दूसरे दोस्त ने कहा कि यह कभी काम नहीं करेगा, मिट्टी का पाइप, यह वास्तव में एक बुरा विचार है।

इस दोस्त ने हजारों कारण बताए कि यह काम नहीं करेगा लेकिन पहले वाला दोस्त इसको फिर भी आजमाना चाहता था।

निर्माण शुरू हुआ और शुरू से ही, काम में बहुत सारी समस्याएं आईं, पाइप कई बार टूट गया और फिर से नए पाइप से काम करते रहे ।

इसलिए दूसरा दोस्त खर्चे को देखते हुए उसको छोड़ कर चला गया, लेकिन धीरे-धीरे ही सही आखिरकार 6 से 7 महीने बाद, पाइप सही से लगा दिया और इस तरह से गांव तक पानी आने लगा।

अब, वह प्रति दिन हजारों बर्तनो को पानी से भर सकता था, इस प्रकार प्रति बर्तन पानी की दर 25₹ से घटाकर 10₹ प्रति बर्तन कर दिया क्युकी उसे कही जाने की जरूरत नही थी।

इस तरह से उसकी आय बढ़ने लगी क्योंकि अब हर दिन हजारों बर्तन पानी कम दाम पर पहुंचा देता था और उसका दूसरा दोस्त अब बेरोजगार हो गया।

कहानी का मोरल:

असफल होने से मत डरो, कोशिश न करने से डरो। कुछ नहीं करेंगे तो कुछ नहीं मिलेगा। लेकिन अगर आप कुछ करने की कोशिश करोगे तो 50% संभावना है, कि आप असफल हो जाओ या आप सफल हो जाओ।


लेकिन 50% उम्मीद है और अगर कोशिश नहीं करोगे तो सफल होने की संभावना बिल्कुल 0% है। अब आप ही तय करें कि आप कौनसे दोस्त हैं।




दो दोस्त और एक तलवार


एक बार एक गाँव में दो दोस्त सोनू और मोनू रहते थे। एक दिन उन दोनों को किसी काम से दूसरे गाँव जाना था।


रास्ते में सोनू को एक पेड़ से लटकी एक सुंदर तलवार दिखाई दी। वह तेजी से भागा और उसे पकड़ लिया और खुशी से चिल्लाया, "देखो मुझे कितनी सुंदर तलवार मिली है।"


इस पर उसके दोस्त मोनू ने उसे टोकते हुए कहा, "हम दोनों साथ-साथ चल रहे हैं, तो तुम यह कहो, कि हमको एक सुंदर तलवार मिली है।"


सोनू ने जवाब दिया, "अरे नहीं नहीं, मैंने यह तलवार देखी और मुझे मिली है इसलिए, यह केवल मेरी तलवार है ।"


यह कहकर उसने उस तलवार को अपने पास रख लिया। मोनू ने कुछ नहीं कहा और दोनों आगे बढ़ने लगे।


जब वे दूसरे गाँव पहुँचने ही वाले थे, तो उनके सामने लोगों का एक झुंड दिखाई दिया।


और अचानक उन लोगों में से एक ने सोनू को यह कहते हुए पकड़ लिया, "वह कातिल है, उसके पास हमारे गांव में हत्या के लिए इस्तेमाल की गई तलवार है।”


यह सुनकर सोनू डर गया और मोनू से कहा, "मेरे दोस्त, हम मुसीबत में फंस गए हैं। "


इस पर मोनू ने उत्तर दिया, "नहीं, हम नहीं । मुसीबत में सिर्फ तुम ही फसे हो। "


तभी लोग सोनू को जेल में डालने के लिए अपने साथ ले जाने लगे। मोनू को अपने दोस्त के लिए बुरा लगा और उसने उस तलवार के कारण हुई गलतफहमी को दूर किया और सोनू को उस परेशानी से बाहर निकाला।


बाद में सोनू ने अपने स्वार्थी व्यवहार के लिए मोनू से माफी मांगी और मुश्किल की घड़ी में उनकी मदद करने के लिए उनका शुक्रिया अदा किया।


मोरल : हमें न केवल अपने दुखों को बल्कि अपनी खुशी को अपने दोस्तों के साथ भी साझा करना चाहिए।


दो मटके एवम् उनके मालिक की कहानी

बहुत समय की बात है एक राजू नाम का आदमी सोलापुर गांव मे रहता था। वो बड़ा ही महंती आदमी था।

वो सरपंच के घर पानी भरने का काम किया करता था। एक दिन वो मिट्टी के मटके लेने बाजार जाता है। उसने देखा कि बजार में बहुत सुंदर मटके है लेकिन उसे मटका सजावट के लिए नहीं चाहिए था, बल्की पानी भरने के लिए चाहिए था।

उसने सारा बाजार देखा, आखिर उसे दो सुंदर मटके मिल गए, जिसमे अच्छा खासा पानी भरा जा सकता था।

तब राजू ने उनका भाव पूछा की ये मटके कितने के है, तो मटके वाले ने बोला कि उनका दाम है १०० रुपये, तो राजू ने कहा मटका बहुत ही महंगा बेच रहे हों, तो मटके वाले ने कहा कि लेना है तो लो वरना आप की मर्जी।

क्योंकि राजू को मटके चाहिए थे तो राजू ने बोला की भाव कुछ कम नहीं हो सकते क्या? तब मटके वाले ने कहा कि आप के लिए 10 रुपए कम कर देता हू, 90 रुपए देदो, तब राजू ने कहा कि ठीक है तुम्हारा धन्यवाद भाई।

मटके लेकर राजू अपने घर वापस चला जाता है, घर आने के बाद उसकी पत्नि उसको पुछती है, आप सारा दिन कहा थे वैसे तो आप पांच बजे घर आ जाते थे आज इतनी देर क्यू हो गई।

आज में दो मटके लेने बजार चला गया था। वही मुझे थोड़ी देर हो गई, तब राजू की पत्नि ने कहा कि मटके किसलिए? हमे तो मटको कि जरूरत नही है, फिर आप मटके लेने क्यू गये थे?

तब राजू ने कहा कि अरे इतने सवाल एक साथ करोगी या खाना दोगी,या तुम्हारे सवाल खाकर सो जाऊं। तब राजू की पत्नी ने कहा कि आप हाथ मुंह धो लो में अभी खाना लगाती हु।

तब खाना खाते हुए राजू उसे बताता है की सरपंच जी ने मुझे दो मटके लाने को कहा था।इसलिए मुझे घर आने में देर हो गई।

तो राजू की पत्नी ने कहा अच्छा आप सरपंच के घर मे इसी मटको में पानी भरने वाले हो क्या?तब राजू ने कहा हां।

अगले दिन राजू सरपंच जी के घर जाता है, वो मटके दिखाता है। तब सरपंच जी कहते है बड़े ही सुंदर मटके है, अब रोज पानी इसी से ले आना, राजू "जी सरपंच" और सुबह सुबह उठकर राजू पानी लाने के लिए निकल जाता है।

वो नदी से रोज उन मटकों में पानी लाता है और सरपंच जी के पौधों में डालता है। इसी तरह वो अपना रोज काम करता है।

एक दिन राजू पानी लेकर जा रहा था तो पास में बच्चे खेल रहे थे, बच्चे खेलते खेलते जोर से बॉल एक मटके पर मार देते हैं और एक mtka फुट जाता है, तब राजू सोचता है अब में क्या करू सरपंच जी को क्या जवाब दूं , राजू परेशान हो जाता है बड़ा उदास होकर सरपंच जी के पास जाता है , और बताता है की दो मे से एक मटका फूट गया है।

सरपंच राजू की बात सुनते हैं और कहते है , कोई बात नही राजू दुसरा मटका ले आओ, तब राजू बोलता है नही सरपंच जी ये मेरे कारण हुआ है, मैं इसी मटके से पानी लाऊंगा, चाहे मुझे पानी लेने दो बर क्यू ना जाना पड़े।

सरपंच राजू की बात मान लेते है, क्यूकी उन्हें पता था कि राजू मानेगा नही राजू मेहनत करने से पीछे नहीं हटता था।

इसी तरह वो पानी भरने रोज नदी जाता और पानी भरकर अपने कंधो पर रखता और सरपंच जी के घर ले जाता।

क्युकी उन दोनो मटकों में से एक मटका टूटा हुआ था तो उससे पानी बहता रहता था, और दूसरा मटका एक दम ठीक था।

राजू दोनो मटकों को एक ही जगह रखता था, तब दोनो मटके आपस मे एक दुसरे से बात करते है, तब एक दम ठीक मटका बोलता है तुम तो एक टूटे हुए मटके हो और कोई काम के नही हो, तुम्हारे अन्दर पानी लाकर मलिक की मेहनत बेकार होती है। तुम्हारे अन्दर से आधा से ज्यादा पानी बह जाता है, मैं तो तुमसे दो गुना फायदे मंद हु , मैं तुमसे जादा पानी लाता हूं। इसलिए मलिक मुझे पसंद करते है।

तब टूटा मटका बोला मुझमें दरार पड़ गई। इसलिए तुम मुझे देख कर हंस रहे हो। दूसरो को दुख मे देख कर हंसना बुरी बात है। तब ठीक मटका बोला तुमसे पानी बहता देख कर हंसी नही आयेगी क्या, अब सब तुमको टूटा घड़ा टूटा घड़ा कहेंगे।

ये सुनकर टूटा घड़ा उदास हो जाता है, हर वक्त अच्छा मटका उसे बेकार महसूस करवाता है, और नीचा दिखाता है। ये बात टूटे हुए मटके को लगती थी उसे लगता था कि वो कोई काम का नही रहा।

उसे सरमिंदगी महसूस होती थी। उसे लगा मैं मालिक के काम का नही रहा, हमेशा की तरह राजू पानी भरकर सरपंच जी के घर की ओर जा रहा था तभी टूटे हुए मटके ने कहा, मुझे हटाकर कोई और मटका ले आओ में कोई काम का नही हु। तो राजू ने कहा लेकिन क्यों?

मैं सारा पानी नही ले जा सकता। मुझमें जो दरारे हैं उस से पानी बह जाता है मैं आप पर बोझ हु मैं किसी काम का नही हु।

तब राजू ने कहा तुम सिर्फ अपनी बुराई देख रहे हो। लेकिन मैं तुम्हारे बुराई के पीछे छुपी अच्छाई को देख रहा हूं , इसीलिए मुझे तुम्हारे अन्दर कोई कमी नही दिखाई दी।

तुम्हे ऐसा क्यों लगता है, कि तुम मेरे किसी काम के नही हो? तुमने तो मेरी बहुत मदद कि है। तो टूटा मटका बोला की वो कैसे?

तब राजू कहता है जब में रोज नदी से वापस आता हूं, तब आधा पानी जमीन पर गिर जाता हैं, जिस वजह से वहां के जल रहे फूल अच्छे से उग रहे है।

तो तुम कैसे अपने आप को नकारा समझते हो?टूटा मटका बोला की इन सब मे आप की मदद कैसे हुई मालिक ?

तब राजू ने कहा की वो जो फूल उगते हैं। मैं उन्हे बजार में बेचकर कुछ पैसे कमा लेता हूं जिसे मुझे फायदा होता है।

ये सब तुम्हारे कारण ही तो हो पाया है तो अब से तुम कभी अपने आप को कम मत समझना, मटका बोला - ओह! मुझे पता नही था ऐसे भी काम आ सकता हूं।

यह सुनके अच्छे मटके को अपनी गलती का अहसास हो गया और टूटे मटके से माफी मांगता है - मुझे माफ़ कर दो मेरे दोस्त मेने तुम्हारा दिल दुखाया है, मुझे तुम्हारी कमजोरी का मजाक नही उड़ना चाहिए था। मैं अपनी गलती पर सरमिंदा हु मुझे माफ़ कर दो।

टूटा मटका बोला - चलो ठीक है तुमने अपनी गलती मान ली, इसलिए तुम्हे माफ किया।

मोरल (सीख) : हर व्यक्ति में अच्छाई और बुराई पर हमे दूसरो में अच्छाई देखनी चाहिए बुराई को छोड़ देना चाहिए तभी हम जीवन मे खुश रह सकते है।


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