[Best] बच्चों की कहानियां | Baccho ki kahani | Stories for kids in Hindi | हिंदी कहानियाँ

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बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए पुराने जमाने से ही अच्छी कहानिया सुनाने की प्रथा चलती आ रही है। 

हम सब के माता पिता एवं दादा दादी हमे बच्चों की कहानिया सुनाया करते थे और कही बार जिज्ञासा होती थी की आगे क्या हुआ होगा और हम बार बार सवाल करते थे। 

बच्चो को सुनाई जाने वाली कहानिया उनके स्वाभाव पे बहुत अच्छा प्रभाव छोड़ती है। 

ये कहानिया ही उन्हें पढ़ाई में भी मन लगने में सहायता करती है।

ऐसी ही कुछ कहानियाँ हमने आपके लिए लिखी है जरूर अपने बच्चों को सुनाये। 

bacchon ki khani

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बिल्ली की कहानी | Billi ki Kahani | Cat story in Hindi

Cat story

एक बार की बात है एक बिल्ली थी। उसका नाम "मिली" था। वह एक गाँव के एक छोटे से सुन्दर घर में रहती थी।

गर्मी का मौसम था और सूरज आसमान में चमक रहा था। बिल्ली, घर पर ऊब रही थी और उसने सोचा, "क्यों न मैं फिर समुद्र तट पर ड्राइव के लिए निकल जाऊं।" वह अपने घर से अपनी लाल रंग की कार लेके निकल पड़ी।

वह समुद्र तट की ओर गाड़ी चलाने लगी। अचानक उसे एक आवाज सुनाई दी। उसने चारों ओर देखा और देखा, सड़क के किनारे एक भेड़ खड़ी थी।

भेड़ ने मिली से पूछा, "नमस्ते! क्या आप कृपया मुझे बाजार छोड़ सकती हैं? मुझे कुछ सब्जियां खरीदनी हैं और मेरी बस छूट गई है।"

मिली ने उत्तर दिया, "हां बिल्कुल, कृपया अंदर आएं"। बिल्ली और भेड़ दोनों बाजार की ओर गाड़ी लेके निकल पड़ी। वे बाजार पहुंचे और मिली ने भेड़ को उतार दिया।

मिली ने सोचा, "मुझे अभी तेज चलना चाहिए नहीं तो मुझे समुद्र तट के लिए देर हो जाएगी।" वह फिर से गाड़ी चलाने लगी।

अचानक एक बड़ा भालू आया और उसकी कार के सामने आकर रुक गया। भालू ने कहा, "मूर्ख बिल्ली कहाँ जा रही हो?"

मिली डर गई और जवाब दिया, "मैं समुद्र तट पर जा रही हूं"।

भालू ने कहा, "क्या तुम मुझे अपने साथ ले जा सकती हो?"

मिली ने सोचा, "अगर मैं उसे ना कहूँ, तो वह मुझे नुकसान पहुँचा सकता है।" तो उसने कहा, "हाँ सर, कृपया अंदर "आएं"

अब बिल्ली और भालू दोनों समुद्र तट की ओर चल पड़े।

वे बीच पर पहुंचने वाले ही थे, लेकिन अचानक... कार बीच रास्ते में रुक गई।

भालू ने बिल्ली से पूछा, "क्या हुआ? कार क्यों रुकी है?"

मिली ने जवाब दिया, "सर, प्लीज़ रुकिए, मुझे चेक करने दीजिए"।

मिली ने कार की जाँच की उसने बोनट के नीचे जाँच की और पहियों को देखा लेकिन उसे समस्या कई नहीं मिली। उसने चारों ओर देखा कि अगर कोई है तो वह मदद मांग सके।

उसने देखा कि एक बंदर एक पेड़ पर बैठा केला खा रहा है। बिल्ली ने बंदर से पूछा, "क्या आप कृपया मेरी मदद कर सकते हैं? मेरी कार अचानक रुक गई है और मुझे समुद्र तट पर जाना है।"

बंदर ने उससे कहा, "रुको, मुझे अपने केले खत्म करने दो, फिर मैं नीचे आऊंगा।" बिल्ली और भालू दोनों ने केले खत्म करने के लिए बंदर का इंतजार किया।

अंत में बंदर ने अपने केले खत्म किए और नीचे आ गया। उसने कार के चारों ओर देखा और इंजन को देखा। उसने कुछ तारों के साथ जुगाड लगाया और जल्द ही कार को ठीक कर दिया। कार अब पूरी तरह से काम कर रही थी।

बिल्ली और भालू खुश हो गए। अब वे समुद्र तट पर जा सकते थे।

बिल्ली ने बंदर को "धन्यवाद" कहा।

बंदर ने कहा, "यदि आप वास्तव में आभारी हैं, तो कृपया मुझे अपने साथ समुद्र तट पर ले जाएं"।

बिल्ली ने उत्तर दिया, "बिल्कुल, कृपया अंदर आएं" ।

वे तीनों समुद्र तट के लिए निकल पड़े और अंत में पहुंच गए। समुद्र तट पर उन्होंने पानी में खेल का आनंद लिया। उन्होंने एक साथ गेंद खेली और स्ट्रॉबेरी, आलू के पकोड़े, आइसक्रीम और जूस जैसे स्वादिष्ट भोजन खाए ।

कुछ ही देर में सूरज डूबने लगा। सूर्यास्त हो गया था ! उन तीनों ने फैसला किया कि यह जाने का समय है। वे लाल रंग की कार में बैठ गए और अपने घरों को वापस चले गए।


चालाक लोमड़ी की कहानी | Chalak Lomdi ki kahani | Clever fox story in Hindi

Chalak lomdi

एक बार एक बड़ा, काला भूखा कौआ भोजन की तलाश में इधर-उधर उड़ रहा था। उसने जमीन पर पड़ी रोटी का एक बड़ा टुकड़ा देखा और उसे अपनी चोंच में उठा लिया। 

फिर वह उड़कर पास के एक पेड़ के पास गया और उसकी शाखा पर बैठ गया। वह खुशी से रोटी को खा रहा था।

पास से गुजर रही एक लोमड़ी ने देखा कि कौवा अपनी चोंच में रोटी लिए हुए पेड़ पर बैठा है।

लोमड़ी ने मन ही मन सोचा, "मम्मम। वह रोटी बहुत स्वादिष्ट लगती है। मुझे इसे कौवे से निकालने का उपाय खोजना होगा।"

लोमड़ी पेड़ के पास गई और बोली, "ओह कौवा, आज तुम बहुत सुंदर लग रहे हो। आपके पंख बहुत चमकदार और जगमगाते हैं। आप पक्षियों के राजा की तरह दिखते हैं। मुझे यकीन है कि आपकी आवाज भी बहुत सुंदर होगी।"

कौआ उसकी प्रशंसा सुनकर प्रसन्न हुआ। लेकिन उसकी चोंच में रोटी के कारण वह एक शब्द भी नहीं कह सका।

लोमड़ी ने आगे कहा, "हे पक्षियों के राजा! क्या मुझे आपकी गाते हुए आवाज सुन सकती हु। मैं सबसे धन्य लोमड़ी बनूंगी।"

कौआ, जिसने कभी ऐसी प्रशंसा नहीं सुनी थी, अपने आप को नियंत्रित नहीं कर सका।

उसने अपनी गर्दन फैलाई, अपना सिर आकाश की ओर उठाया और जोर-जोर से गाने लगा।

और...रोटी नीचे प्रतीक्षा में खड़ी लोमड़ी के मुँह में गिरी। कौवा चिल्लाता रहा, जबकि लोमड़ी ने रोटी खा ली।

कहानी से सीख: चापलूसी से सावधान रहें।


शेर की कहानी | Sher ki kahani | Lion story in Hindi

Lion story

एक बार की बात है, एक घने जंगल में कई जंगली जानवर रहते थे। यह बहुत सारे जानवरों का घर था जैसे हाथी, - गोरिल्ला, बंदर, चिंपैंजी, हिरण और अन्य।

जंगल पर एक तेज, चतुर और चालाक शेर का शासन था। वह जंगल के सभी जानवरों पर राज करता था। वे सभी उससे डरते थे।

एक दिन शेर ने जंगल के सभी जानवरों को एक बैठक के लिए बुलाया। जानवर बहुत डरे हुए थे और यह जानने के लिए उत्सुक थे कि शेर बैठक में क्या कहेगा।

सारे जानवर इकट्ठे हो गए। जल्द ही शेर आ गया।

उसने सबकी ओर देखा और कहा, "कल से, मैं चाहता हूँ कि तुम सब उस नियम का पालन करो जो मैं तुम्हें देता हूँ।" इतना बोलकर काफी लंबे समय तक ऐसे ही चुप खड़ा हो गया।

अपनी जिज्ञासा को नियंत्रित नही हुआ तो गोरिल्ला ने झिझकते हुए शेर से पूछा, "सर, अगर मैं आपसे पूछूं, तो क्या आप हमें वह नियम बता सकते हैं जिसका हम सभी को पालन करने की आवश्यकता है। "

सिंह ने उत्तर दिया, “रुको, हे मूर्ख पशु! मैं आपको बताऊँगा। मैं इस पर विचार कर रहा हूं।"

सभी जानवर अब पहले से ज्यादा डरे हुए थे और चुपचाप इंतजार करने लगे।

अंत में, शेर ने कहा, "अब से, हर दिन, आप सभी को मेरे खाने के लिए एक जानवर भेजना होगा। यदि आप इस नियम का पालन नहीं करते हैं तो आप सभी को बहुत परेशानी होगी।"

नियम सुनकर सभी जानवर दंग रह गए! लेकिन उनके पास कोई चारा नहीं था। उन्हें सिंह के शासन को स्वीकार करना पड़ा।

शेर ने आगे कहा, "मैं अब एक सहायक नियुक्त कर रहा हूं जो हर रोज जानवरों को मेरे घर लाएगा। मेरा सहायक हिरण होगा। "

हिरण हैरान और चौंक गया। उन्हें इस फैसले पर कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी। लेकिन वह अपने विचारों को व्यक्त करने से बहुत डरता था। तो उन्होंने कहा, "ठीक है सर। जैसा तुम कहोगे मैं वैसा ही करूंगा। मैं हर सुबह एक जानवर के साथ आपकी सेवा में उपस्थित रहूंगा।”

सिंह बैठक छोड़कर वापस अपनी मांद में चला गया।

उस दिन से, हर सुबह, हिरण अपने साथ एक जानवर को शेर की मांद में ले जाता। इस नियम से सभी जानवर बहुत परेशान थे। वे जानते थे कि जल्द ही एक दिन सिंह की दावत में उनकी बारी होगी।

एक रात अचानक तेज गड़गड़ाहट हुई। देखते ही देखते तेज बारिश होने लगी। सभी जानवर अपने घरों में भाग गए। लेकिन शेर बारिश में मस्ती करना चाहता था।

वह जंगल से भागा और बारिश में बैठ गया। उसने आनंद लिया और बारिश में बहुत मज़ा किया।

बारिश बंद होने पर वह वापस अपने घर लौट आया और बहुत थका हुआ होने के कारण सोने चला गया।

अगली सुबह जब शेर उठा, तो हिरण उसकी सेवा में था।

हिरण ने शेर से पूछा, "महाराज, आज मैं आपकी दावत के लिए किसे लाऊं?"

जैसे ही शेर ने बोलने के लिए अपना मुंह खोला, एक जोर की छींक का गई। "आछू!"

बारिश में आनंद लेते हुए शेर ने सर्दी पकड़ ली थी। उसने एक बार फिर बोलने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने अपना मुंह खोला "आछू!"

वह बोल नहीं सका, और हिरण को दूर भगा दिया।

यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। हर सुबह हिरण उसके पास जाता, लेकिन जैसे ही शेर कुछ कहने की कोशिश करता- "आछू!"

इस तरह, वह जानवरों से कुछ नहीं कह पा रहा था और इसलिए उसे अपनी दावत के लिए कोई जानवर नहीं मिला। वह हर समय अपनी मांद में भूखा ही रहने लगा। 

धीरे धीरे वह कमजोर होने लगा। शेर को इस तरह देखकर सभी जानवरों ने उसकी मदद करने का फैसला किया। 

उन्होंने जंगल की खोज की और कुछ औषधीय जड़ी-बूटियाँ एकत्र की। उन्होंने इसे एक साथ पीसकर एक टॉनिक बनाया।

अब समस्या यह थी कि भूखे शेर को कौन जाकर इसे देगा। हिरण ने कहा, "मैं नहीं जाऊंगा। मैं रोज उसके पास जाता हूं और वह मेरा चेहरा देखकर थक गया है।

बंदर ने कहा, "मैं भी उसके पास नहीं जाऊंगा, वह बहुत खतरनाक है, और कई दिनों से भूखा है।"

अंत में गोरिल्ला ने कहा, "ठीक है, मैं उसके पास जाऊंगा और उसे यह टॉनिक दूंगा।" गोरिल्ला शेर की मांद में गया और शेर से कहा, "सर, हम जानवर जानते हैं कि आप बहुत दर्द में हैं। हमने आपके लिए एक दवा बनाई है। कृपया इसे लें, यह आपकी मदद करेगा।"

शेर ने कहा, " आछू... ठीक है.... आच्छू.... वहाँ रहो....आछू.... सोचोगे.... आछू.. इसके बारे में.... आच्छू।" गोरिल्ला ने दवा को प्रवेश द्वार पर रखा और शेर की मांद को से चला गया।

शेर का दर्द दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा था। अंत में, उन्होंने दवा लेने का फैसला किया। अगले ही दिन जब वह उठा तो उसकी सर्दी गायब हो चुकी थी, उसका दर्द भी चला गया !

वह बहुत खुश हो गया। उसने जंगल में जानवरों के प्रति अपने व्यवहार के बारे में सोचा। उसने उन्हें मुश्किल में डाल दिया था क्योंकि वह शिकार करने के लिए बहुत आलसी था। इसके बावजूद जब वह संकट में था तब उन सब ने उसकी सहायता की है।

इसलिए उसने निश्चय किया कि वह अब जंगल के किसी भी जानवर को परेशान नहीं करेगा और उनका भला करेगा।

इस दिन के बाद, जंगल के सभी जानवर जंगल में खुशी और निडर होकर रहने लगे।


एक खरगोश और शेर की कहानी (A Rabbit and Lion's story)

Khargos

यह बहुत पहले की बात है, एक जंगल में सारे जानवर मिलजुल कर और आजाद रहते थे! 

ऐसे में उस जंगल में एक शेर आया और फिर वह सब जानवरों को अपनी मर्जी से मारकर खाने लगा! 

उस से परेशान होकर सब जानवरों ने मिलकर एक निर्णय लिया फिर सब मिलकर दूसरे दिन शेर से मिलने गए ! 

फिर वहां जाकर जिराफ ने सबकी की ओर से कहा की "हम सबने मिलकर एक निर्णय लिया है की हम में से रोज एक जानवर आपका भोजन बन कर आएगा" ।

तब शेर ने कहा मैं तुम्हारी बात क्यों मानूं तो खरगोश बोला ऐसे ही चलता रहा तो थोड़े ही दिन में हम सब मर जाएंगे ! फिर आपको भी खाना नहीं मिलेगा, फिर हिरण बोला आप भी बूढ़े हो गए हो शिकार नहीं कर सकेंगे।

तब सबकी बातें सुनकर शेर ने कहा ठीक है!

फिर एक जानवर रोजाना शेर का भोजन बंन कर जाने लगा ।

एक दिन खरगोश की बारी आई खरगोश नियमित समय पर ना जाकर जानबूझकर देर करने लगा। 

शेर ने कहा : इतनी देर क्यों हुई, तुम्हें खाने से मेरी भूख भी नहीं मिटेगी, तो खरगोश ने कहा मेरे साथ एक और जानवर भी आया है! 

लेकिन फिर उसे रास्ते में एक और शेर ने उसे खा लिया ,  शेर ने कहा इस जंगल में मुझसे ज्यादा बनो बलवान शेर हो ही नही सकता, क्या तुम मुझे दिखा सकते हो?

खरगोश ने हामी भरी और उस शेर को एक कुएं के पास ले गया, और कहां महाराज वो शेर इस कुएं मे अंदर छिपा है, शेर उस कुएं में झांका तो पानी की वजह से उसे अपना ही चेहरा दिखाई दिया, उसने दूसरा शेर समझ कर उस कुएं मे कुद पड़ा! 

फिर कुए से बाहर निकल नहीं पाया और वह अंदर ही मर गया! इस तरह खरगोश ने अपनी चतुराई से शेर से सभी जानवरों को बचाया!

सभी जानवरों ने खरगोश की तारीफ की और फिर से खुशी खुशी जीने लगे!

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की अकल और चालाकी से हम अपने आप से भी ताकतवर पर जीत हासिल कर सकते हैं।

त्यागी पेड़ की कहानी (Story of a Tree)

Tree

यह कहानी इस शदी की है एक जंगल में एक आम का पेड़ था, उस जंगल के पास ही एक छोटा सा गांव था।

उस गांव का एक छोटा सा लड़का रामू जंगल में जाकर उस आम के पेड़ के पास खेलता रहता था, वह उस पेड़ पर चढ़ता आम खाता फिर आराम से उस पेड़ के नीचे नींद की झपकी लेता रामू को उस पेड़ के साथ खेलना अच्छा लगता था, आम के पेड़ को भी अच्छा लगता फिर थोड़े दिन ऐसा ही चलता रहा फिर रामू ने उस पेड़ के साथ खेलना बंद कर दिया ।

एक दिन रामू चलते चलते उस पेड़ के पास गया क्युकी वह बहुत दुखी था, आम के पेड़ ने रामू से कहा : चलो बेटा मेरे साथ खेलो ।

तो रामू ने कहा मैं अब बच्चा नहीं रहा जो तुम्हारे साथ खेलु, पेड़ो के साथ नहीं खेलता , मुझे अभी खिलौने चाहिए और खिलौने खरीदने के लिए मुझे पैसों की जरूरत है! 

फिर पेड़ ने कहा मुझे माफ करो मेरे पास पैसे तो नहीं है, परंतु तुम आम तोड़ सकते हो, और उसे बाजार में जाकर उसे बेचकर पैसे कमा सकते हो, रामू यह सुनते ही खुश हो गया उसने आम तोडे फिर खुशी खुशी वहां से चला गया। 

लेकिन बहुत दिनों तक वहां रामू उस आम के पेड़ के पास नहीं आया, बेचारा आम का पेड़ बहुत दुखी हो गया।

कुछ सालों बाद रामू अब आदमी बन गया था। फिर से उस आम के पेड़ के पास वो आया, आम का पेड़ खुश हुआ और बोला रामू बेटा चलो आओ मेरे साथ खेलो।

तब रामू बोला मुझे तुम्हारे साथ चलने का टाइम नहीं है और वैसे भी मैं अब बड़ा हो गया हूं । मुझे अब मेरे परिवार के लिए काम करना है, हमे एक घर चाहिए क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?

तब पेड़ ने कहा मुझे माफ कर दो पर मेरे पास तुमको देने के लिए घर नहीं है, परंतु तुम मेरी शाखाएं तोड़कर तुम्हारा घर बना सकते हो। 

ऐसा सुनते ही रामू ने आम के पेड़ की सभी शाखाएं तोड़ दी, और उन्हें साथ मे लेकर वहां से खुशी-खुशी चला गया। शाखाएं टूटने के बाद बावजूद भी आप का पेड़ खुश था। परंतु रामू उसके बाद नहीं आया। और पेड़ बेचारा फिर से बहुत दुखी हुआ।

कुछ सालों बाद गर्मियों के दिन मे रामू  फिर से उस पेड़ के पास आया। पेड़ बहुत खुश हुआ , आओ बेटा चलो मेरे साथ खेलो। 

तब रामू ने कहा नहीं अब मैं बूढ़ा हो गया हूं अब मुझे जिंदगी आराम से बिताने के लिए नौकायन( नाव ) करना है क्या तुम मुझे बोट दे सकते हो,  पेड़ ने कहा तुम मेरे तना का इस्तेमाल करो और बोट बनाओ फिर तुम नौकायन करके तुम खुश रह सकते हो। 

फिर क्या था रामू ने उस पेड़ का तना भी काट लिया और उससे एक बोट बनाई, नौकायन बनाके चलाई और बहुत सालों तक वह वापस नहीं आया ऐसे ही कुछ साल बीत गए फिर आखिर एक दिन रामू वापस आया। 

रामू को देखकर पेड़ बोला मुझे माफ करना बेटा परंतु तुम्हें देने के लिए अब मेरे पास कुछ नहीं बचा आम तो कभी के खत्म हो गए। 

रामू बोला कोई बात नहीं अब मेरे दांत भी तो नहीं है आम खाने के लिए, पेड़ बोला  तुम्हें खेलने के लिए अब शाखाएं  भी नही है , फिर रामू ने कहा : पर अब मैं भी बहुत बूढ़ा हो गया हूं शंखाओ पर चढ़ने के लिए । 

फिर पेड़ इस पर बोला मेरे पास सचमुच कुछ नहीं बचा है तुम्हें देने के लिए सिर्फ बस अब मरने वाली जड़े हैं मेरे पास इतना बोलकर आम का पेड़ रोने लगा । 

तब रामू ने कहा अब मुझे किसी भी चीज की जरूरत नहीं है। अब मैं थक गया हूं, बस अब आराम करना चाहता हूं, तब पेड़ बोला तो फिर तो अच्छा है पेड़ की जड़े आराम के लिए सबसे अच्छी जगह होती है,  आओ मेरे पास बैठो, तोरामू नीचे बैठा। आम का पेड़ खुश हुआ और वो रोने लगा। 

ये कहानी हमारे दिल को छू लेती है की कैसे एक पेड़ हमारे जीवन में बस जीवन भर देते ही रहता है, और इंसान उस बात की कदर तक नही करता पेड़ हमे छाया और फल देते है, लकड़िया देते है, पर हम इंसान उन्हें काटते है हमारे फायदे के लिए और वापस कुछ नही देते। 

मोरल: अगर हम नया पेड़ नहीं लगा सकते तो कम से कम उन्हे काटो मत।(save the trees  🌳)

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