सुंदर पिचाई विकी/बायो, गूगल सीईओ, आईआईटी खड़कपुर, पत्नी, परिवार, सैलरी (sundar pichai wiki/bio, google CEO, IIT KHADKPUR, wife, family, salary)
सुंदर पिचाई जिनको आज पूरी दुनिया जानती है लेकिन क्या तुम्हें उनकी कहानी पता है कि वह यहां तक कैसे पहुंचे?
आज हम उनकी उसी कहानी की बात करेंगे कि कैसे वह एक गरीब परिवार से निकलकर दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी गूगल के सीईओ बने।
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सुंदर पिचाई बायो/विकी
जन्म, माता पिता, पत्नी, बच्चे (Birth, Parents, wife, childrens)
- जन्म- 10 जून 1972 (चेन्नई)
- पिता- रघुनाथ पिचाई
- माता- लक्ष्मी पिचाई
- पत्नी- अंजलि पिचाई
- बच्चे- काव्या पिचाई और किरण पिचाई
प्रारंभिक जीवन (Early life)
सुंदर पिचाई का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। उनके पिता जूनियर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे, जो दो रूम के एक मकान में रहते थे, उसमें से पूरा खानदान एक रूम में और एक रूम किराए पर दिया हुआ था, क्योंकि पैसे की तंगी हुआ करती थी।
आईआईटी खड़गपुर के पढ़े हुए स्कॉलरशिप के साथ स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी गये थे, जहां पर पढ़ाई का खर्चा रहने का खर्चा एंव खाने का खर्चा पूरा स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी देती थी।
लेकिन उनको आने जाने का टिकट का खर्चा खुद करना था। सुंदर पिचाई को परिवार का महत्व पता था, इसलिए वो चाहते थे कि उनकी मां भी उनके साथ में जाए।
लेकिन पिता की सैलरी 2000 महीना थी, उन्होंने कंपनी में खूब रिक्वेस्ट करके पूरे साल की सैलरी एडवांस ली, तब जाकर केवल एक सुंदर पिचाई की टिकट खरीद पाए, इसलिए उनकी माँ साथ नही जा पाई।
केवल एक बैग साथ ले जाना था, सूटकेस नहीं ले जा सकते थे। उस बैग की कीमत ही 2000₹ थी। पिता की एक महीने की पूरी सैलरी उस एक बैग में ही चली गयी।
आप सोचो किस सुंदर पिचाई के पापा ने पूरे 1 साल की सैलरी से सुंदर उनके लिए एक फ्लाइट की टिकट खरीदी थी।
सैलरी
आज 1 साल की सैलरी से सुंदर पिचाई कई प्लेन खरीद सकते हैं। आज कहां से कहां पहुंच चुके हैं, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते है कि सुंदर पिचाई लग्जरी मकान पेलो अल्टो में रहते हैं।
पेलो अल्टो सिलिकॉन वैली के अंदर है, जो कि कैलिफोर्निया में है, कैलिफोर्निया यूएसए का सबसे ज्यादा समृद्ध स्टेट माना जाता है। उनकी टोटल नेट वर्थ आज 600 मिलीयन डॉलर है, लगभग 45 अरब रूपये।
Opportunities don't happen you create them.- Sudar Pichai
सुंदर पिचाई का शुरू से ही मशीन और टेक्नोलॉजी से बहुत लगाव था। तीन चीजो ने उनकी जिंदगी बदल दी टेलीफोन, फ्रिज एव स्कूटर।
टेलिफोन उनके यहाँ लगने के लिए 5 साल उनको इंतजार करना पड़ा। उनके बाद जब भी उनके पिता बहुत दूर बाहर जाया करते थे, तो वह घर पर ट्रंक कॉल किया करते थे।
उसके लिए वो आधा घंटा जाते थे, आधा घंटा तक कॉल के लिए इंतजार करते थे, फिर आधा घंटा वापस आने में लगता था, इस तरह रोज डेढ़ घंटा लग जाता था।
घर में फ्रिज लगा तब उनके बात समझ में आया कि माँ का टाइम बहुत बच गया। मां पहले फल सब्जी लेके आती थी, फिर नाश्ता बनाती थी, मां फल सब्जी लेकर आती फिर किचन साफ करके फिर खाना बनाती थी, अब पूरे हप्ते का सामान आके फ्रिज में रख देती थी।
जब घर में स्कूटर आया तो पिता का टाइम भी बचने लगा तो उनको समझ में आ गया कि भैया, मशीन से बहुत टाइम बच जाता है।
Sundar pichai आज भी इसको फॉलो करते है और कहते हैं-we make products at google, which will save time.
उस समय टेक्नोलॉजी से इतना उत्साहित हो गए थे कि एक बार उन्होंने घर की लैंडलाइन भी खोल दी, फिर बाद में बंद नहीं कर पाए उस लैंडलाइन को, जिस वजह से पिता से बहुत पिटाई भी हुई लेकिन पिता को समझ में आ गए, बच्चा कुछ अच्छा करेगा।
पढाई
चेन्नई से जब वो अमेरिका जाने वाले थे, उससे पहले खड़कपुर में IIT में पढ़ाई में नंबर वन, क्रिकेट में कैप्टन थे, कंप्यूटर पहली बार जाकर आईआईटी खड़कपुर मे देखा था।
गूगल में जब वो काम करते हैं, उससे पहले एक कंसलटिंग कंपनी में बहुत कम समय काम किया था, पर जब गूगल में गए तो माइक्रोसॉफ्ट उनको बहुत दिन से ऑब्जर्व कर रहा था।
गूगल के सीईओ कैसे बने
2013 में माइक्रोसॉफ्ट ने उनको बोला, तुम हमारे यहाँ आ जाओ हम तुम्हे सीईओ बना देंगे, जब उन्होंने कहा, अपने बॉस को कहाँ कि मैं माइक्रोसॉफ्ट ज्वाइन करने जा रहा हूं, मुझको CEO बना रहे, तो बहुत सोचा यार ऐसा तो नहीं धमकी दे रहा हो और निकल जाएगा।
बॉस ने सोचा इसके बारे में थोड़ा सर्वे कर लेते है, अगर लोगों ने बोला है, उसको जाने दो फेवरेट नहीं है हमारा, तो अच्छा ही निकल जाए और अगर बोला फेवरेट है, तो हमारे लिए डिसीजन आसान हो जाएगा।
सर्वे किया- पूरे दुनिया भर में उनके 50 देशो के 74 ऑफिस के अंदर 135000 एम्पलाइज में से 134000 ने बोला, सुंदर पिचाई के बिना यह कंपनी नहीं चलेगी।
गूगल के सीईओ कब बने
यह देख कर उन्होंने सुंदर पिचाई न केवल रिटेन किया, 50 मिलीयन डॉलर का बोनस दिया और उनको गूगल का CEO बना दिया, गूगल 2014 के अंदर 99.9% लोगों ने vote उनके फेवर में दिया।
उनको सैलरी हाईक एव कंपनी के शेयर भी मिले। वो कहते है कि जब भी में कंपनी छोड़ने को बोलता था, वह मेरे को प्रमोट कर देते थे, इसलिए मैं कभी गूगल छोड़ ही नहीं पाया।
सुंदर पिचाई 2015 में गूगल के सीईओ बने। इसके बाद 2019 में अंदर वो अल्फाबेट कंपनी के भी सीईओ बन गए गूगल की सब्सिडी दी जाती है, दीपमाइंड, गूगल फाइबर इन सब के ग्रुप सीईओ भी बन गए।
सुंदर पिचाई के गूगल मैप की कहानी
एक दिन थैंक्सगिविंग डिनर था उनके किसी रिश्तेदार के घर पर, अमेरिका में रहते थे सिलीकान वैली तो उन्होंने बीवी से बोला, (इनकी बीवी बड़ी प्यारी इनको बहुत प्रेम था अपनी बीवी के साथ) ऐसा है कि मैं ऑफिस से पहुंच जाऊंगा, तुम घर से पहुंच जाना तो अंजलि घर से 8:00 बजे पहुँच गई।
सुंदर पिचाई रास्ता भटक गए इसलिए पहुँचते 10:00 बज गए तो उनकी बीबी निकल चुकी थी, खाना खत्म हो चुका था, उन्होंने बोला भैया खाना खत्म हो गया। वो मुंह लटका के अपने घर गए, घर पहुंचे तो अंजलि ने खूब डांटा।
इतना गुस्सा हुई कि तुमने मेरी बेइज्जती करा दी, मुझे किसी और के साथ जाना पड़ा, किसी और के साथ आना पड़ा। अकेले ही खाना खाना पड़ा।
गुस्से में बीबी ने बोला घर से बाहर निकल जाओ। तो सुंदर पिचाई मुंह लटका अपना सामान पैक कर के ऑफिस चले गए।
रात ऑफिस में बिताई लेकिन सो नही पाए और सोचते रहे कि मैं रास्ता भटक गया, मैं रास्ता भटक गया, तो ऐसे कितने लोग भटकते होंगे। ऐसा क्या किया जाए कि लोग कभी भी रास्ता ना भटके।
इन्होंने जाकर के पूरे टीम को बुला लिया और बोला कि कुछ ऐसा कर सकते हैं कि मैप बनाकर लोगों की मदद कर सके, पहले तो टीम तैयार नहीं हुई।
लेकिन उन्हें बार बार बोलने पर जब तैयार हुए तो 50 लोगों की टीम बनाई, 2 दिन रात भर बैठ कर टीम को समजाया पूरे प्लान के बारे में ओर काम शुरू कर दिया।
गूगल मैप कब लॉन्च हुआ
2005 में पहली बार गूगल मैप लॉन्च किया अमेरिका में फिर 2006 में इंग्लैंड, 2008 में इंडिया में लॉन्च किया। उसके बाद पूरी दुनिया में लॉन्च कर दिया और आज गूगल मैप हम सब यूज़ करते है।
Sundar pichai के गूगल लेंस की कहानी
इसी तरह एक दिन क्या हुआ कि वह घर पर रविवार के दिन अपनी बेटी के साथ बगीचे में बैठे थे, तो उनकी बेटी एक फूल लेकर आए और उनको पूछा है कि पापा यह कौन सा फूल है तो उन्होंने बोला कि मुझे पता नहीं, दूसरा फूल लेकर आई और पूछा कि यह कौन सा है तो फिर वह बोले कि पता नहीं।
तो उनकी बेटी हंसते हुए बोलती हैं कि बोलने को तो आप ने बहुत सारी डिग्रियां हासिल की है, गूगल के सीईओ हो, स्टैनफोर्ड से पढ़ाई की है लेकिन आपको तो दो फूल के नाम तो पता नहीं, यह सुनकर सुंदर पिचाई को लगा कि मैं इतना पढ़ा लिखा हूं लेकिन जब मुझको नहीं मालूम तो कॉमन आदमी को क्या पता होगा।
गूगल लेंस लॉन्च
पिचाई ने फिर से 20 लोगो की टीम बुलाई ओर बोले कि क्या किया जाए इतना प्लान करके उन्होंने नया प्रोडक्ट बनाने का सोचा - गूगल लेंस।
फिर अगर मेरी बेटी फूल दे और उसको स्कैन कर लूं तो उसको पता चल जाए की फूल कौन सा है, उसका नाम भी आ जाओ। गूगल के सर्च में सारी डिटेल भी आ जाए।
फूल कहां मिलता है, कितने का मिलता है, कैसे खरीद सकता हूं, दुकान कहां पर है? गूगल लेंस, जो 2017 में लॉन्च किया गया। आज लेंस को सब जानते है कि कितना सफल हुआ।
गूगल ट्रांसलेटर by sundar pichai
इसी तरह जब वो चीन गए और वहा की भाषा नही समझ पा रहे थे तब टीम के साथ मिलके 2006 में गूगल ट्रांसलेटर बना लिया जिसे आज पूरी दुनिया यूज़ करती है, जिसमे 100 से अधिक भाषा है।