रेणुका आराध्या का जीवन परिचय - कैसे एक घर घर जाकर अनाज मांगने वाले ने बनाई 50 करोड़ की कंपनी ? | Renuka Aradhya biography in Hindi

रेणुका आराध्या की एक ऐसी कहानी हम बताने वाले हैं, जिसमें की कैसे उन्होंने बचपन में घर घर जाकर अनाज मांगने से लेकर 50 करोड़ की कंपनी Pravasi cabs Private Limited बनाई।

यह कहानी आजकल की युवा पीढ़ी के लिए बहुत मोटिवेशनल होने वाली है इस कहानी को पढ़ने के बाद आपके पास कोई बहाना नहीं रहेगा कि आप किसी कारणवश आगे नहीं बढ़ पाए।

रेणुका आराध्या कौन है?


56 (2021) साल के रेणुका बेंगलुरु के पास एक छोटे गांव गोपचंद्र गांव से ताल्लुक रखने वाले इस शख्स ने घर घर जाकर अनाज के लिए भीख मांगी थी।

आज रेणुका 50 करोड़ की कंपनी के मालिक हैं जिसकी वजह से हजारों लोगों के घर का चूल्हा जलता है।

उनके पिता राज्य सरकार द्वारा आवंटित एक मंदिर के पुजारी थे, लेकिन इसके लिए राज्य सरकार द्वारा उन्हें कोई सहायता नहीं मिलती थी, इसलिए पूजा के बाद रेणुका एवम उनके पिताजी घर घर जाकर अनाज एवं दाल मांगा करते थे।

उस अनाज को इकट्ठा करके पास के मार्केट में बेचा करते थे इससे उनको जो पैसा मिलता था उससे उनका बहुत मुश्किल से घर चलता था।

घर में पैसों की कमी के कारण कक्षा 6 की पढ़ाई करने के बाद उनके पिताजी ने रेणुका को घरों में नौकर के काम पर लगा दिया, जहां पर वह लोगों के घरों में झाड़ू, पोछा एवं बर्तन धोने का काम किया करते थे।

कुछ दिनों के बाद उनके पिता ने उन्हें है एक बुजुर्ग की सेवा के लिए लगा दिया था जहां पर वह उनको नहलाते एवं उनका मालिश किया करते थे।

इसी बीच उनके पिताजी की मृत्यु हो गई थी, इसलिए सारी करके जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई थी।

इसी वजह से पढ़ाई में समय नहीं मिलने के कारण दसवीं क्लास में वह फेल हो गए थे।

पैसे कमाने के लिए उन्होंने अलग-अलग जगह पर मजदूरी भी की।

इसी बीच वो शराब और जुए की बुरी आदत में फंस गए थे।
लेकिन उन्होंने वो सब आदत छोड़ कर 20 साल की उम्र में शादी कर ली, लेकिन पैसों की कमी के कारण उनकी पत्नी भी कंपनी में मजदूरी का काम करती थी।

पैसो के लिए उन्होंने बहैत अलग अलग काम किये जैसे कि सेक्सयूरिटी गार्ड , पेड़ से नारियल गिराना

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लेकिन लाइफ में स्टेबल होने के लिए उन्होंने कई बार खुद का काम भी शुरू किया, जैसे तैसे करके ₹30000 जोड़कर उन्होंने बैग फ्रिज एवं सूटकेस के कवर बेचने का काम शुरू किया।

जब वह बाजार में कवर बेचने जाते हैं उनकी पत्नी सिलाई का काम करती थी।

लेकिन उनका वह काम बिल्कुल भी नहीं चल पाया और सारा का सारा पैसा डूब गया।

लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और पैसे नहीं होने के कारण उन्होंने ड्राइवर का काम शुरू किया, आपको जानकर हैरानी होगी कि उनके पास ड्राइविंग सीखने के भी पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने अपनी शादी के अंगूठी को गिरवी रख कर ड्राइविंग सीखे एंड लाइसेंस लिया।

ड्राइविंग सीखने के बाद उन्हें ड्राइवर का जॉब मिला लेकिन शुरुआत में ही उनके हाथों से एक एक्सीडेंट हो गया इसलिए उन्हें जॉब से निकाल दिया।

उसके बाद उन्होंने अगले 4 साल के लिए हॉस्पिटल में डेड बॉडी को ट्रांसफर करने का काम शुरू किया।

लेकिन पैसे कम मिलने के कारण उन्होंने एक दूसरी कंपनी में काम शुरू किया जहां पर वह विदेशी पर्यटकों को टूर पे ले जाया करते थे।



विदेशी पर्यटक उन्हें टिप में डॉलर दिया करते थे, उन्हें वह जमा किया करते थे, उन सब पैसों को जोड़कर एंड पत्नी के PF को मिलाकर उन्होंने 2001 में एक पुरानी इंडिका कार खरीदी।



अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने डेढ़ साल के भीतर ही दूसरी कार खरीदी, और ऐसे करते हुए 2006 तक उनके पास 5 गाड़ियां हो गई थी।

5 गाड़ियां होने के बाद उन्होंने खुद की सिटी सफारी (City Safari) नाम से कंपनी चालू की, इसी बीच उन्हें पता चला इंडियन सिटी टैक्सी नाम की एक कंपनी बिकने वाली है, इसलिए उन्होंने 2006 में उस कंपनी को 650000₹ रुपए में खरीद लिया, और उन्होंने इसके लिए अपनी कई कारें बेच दी थी।

Pravasi cabs Private Limited कंपनी


उस कंपनी को खरीदने के बाद उन्होंने अपनी कंपनी का नाम प्रवासी प्राइवेट कैब लिमिटेड रखा, और इस कंपनी का काम बढ़ाकर साल 2018 तक चेन्नई और हैदराबाद तक ले आए, जहां पर उनकी लगभग 1300 कारे चलती थी।

मार्केट में ओला और उबर जैसी कंपनी आने के बाद भी उनकी कंपनी को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा क्योंकि उनके ज्यादातर पुराने कस्टमर है।

इस कहानी से हमें सीख मिलती है, कि मेहनत और लगन से अगर काम किया जाए तो एक दिन कामयाबी जरूर मिलती है।

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