शुभ्रांशु शुक्ला की जीवनी [Biography] - बचपन, शिक्षा, करियर एवं अंतरिक्ष यात्री


यह लेख ग्रुप कैप्टन शुभ्रांशु शुक्ला [Shubhanshu Shukla] की विस्तृत जीवनी [biography] प्रस्तुत करता है, जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) [International Space Station] पर कदम रखने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री [Indian astronaut] हैं। 

इसमें उनके प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, भारतीय वायु सेना [Indian Air Force] में करियर, अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयन और प्रशिक्षण (गगनयान [Gaganyaan] मिशन सहित), एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) [Axiom Mission 4] में उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि, व्यक्तिगत जीवन और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम [India's space program] के लिए उनके महत्व को शामिल किया गया है।

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परिचय [Introduction] 

हाल ही में, भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर स्थापित किया। ग्रुप कैप्टन शुभ्रांशु शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बन गए।

यह उपलब्धि न केवल शुभ्रांशु शुक्ला के लिए एक व्यक्तिगत जीत है, बल्कि यह भारत के बढ़ते अंतरिक्ष कार्यक्रम और वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में उसकी बढ़ती भूमिका का भी प्रमाण है। उनकी यह ऐतिहासिक यात्रा भारत के लिए गर्व का क्षण है।

यह दर्शाती है कि कैसे दृढ़ संकल्प और अथक प्रयास से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। शुभ्रांशु शुक्ला की कहानी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो उन्हें बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने के लिए प्रेरित करती है।

यह लेख शुभ्रांशु शुक्ला की जीवनी [Shubhanshu Shukla biography] का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है। इसमें उनके बचपन से लेकर उनके अंतरिक्ष यात्री बनने तक की अविश्वसनीय यात्रा शामिल है।

उनके जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों, शिक्षा, भारतीय वायु सेना में उनके शानदार करियर और अंतरिक्ष में उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि को इसमें शामिल किया गया है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा [Early Life and Education]

शुभ्रांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में हुआ था। वह अपने तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं।

उनके पिता, शंभू दयाल शुक्ला, एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी हैं, और उनकी माता, आशा शुक्ला, एक गृहिणी हैं। शुभ्रांशु ने अपनी स्कूली शिक्षा लखनऊ के सिटी मोंटेसरी स्कूल, अलीगंज से पूरी की।

बचपन से ही शुभ्रांशु में कुछ बड़ा करने की ललक थी। 1999 के कारगिल युद्ध [Kargil War] ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया और उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने का दृढ़ निश्चय किया।

इसी प्रेरणा के साथ, उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की परीक्षा दी और उसे सफलतापूर्वक उत्तीर्ण किया। 2005 में, उन्होंने एनडीए से कंप्यूटर विज्ञान में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री के साथ अपना सैन्य प्रशिक्षण पूरा किया।

भारतीय वायु सेना में करियर [Career in Indian Air Force]

एनडीए से स्नातक होने के बाद, शुभ्रांशु शुक्ला को भारतीय वायु सेना [Indian Air Force] की फ्लाइंग ब्रांच के लिए चुना गया। उन्होंने भारतीय वायु सेना अकादमी में अपना प्रशिक्षण प्राप्त किया।

जून 2006 में, उन्हें एक फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में भारतीय वायु सेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन प्राप्त हुआ।

शुभ्रांशु शुक्ला एक कुशल लड़ाकू नेता और अनुभवी टेस्ट पायलट [test pilot] हैं। उनके पास Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier 228, और An-32 सहित विभिन्न विमानों में 2,000 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव है।

उनकी असाधारण क्षमताओं और समर्पण के कारण, मार्च 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन [Group Captain] के पद पर पदोन्नत किया गया। भारतीय वायु सेना में उनका करियर उनकी कड़ी मेहनत, अनुशासन और देश के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयन और प्रशिक्षण [Astronaut Selection and Training]

शुभ्रांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत 2019 में हुई, जब उन्हें भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम (गगनयान) [Gaganyaan] के लिए अंतरिक्ष यात्री चयन प्रक्रिया में शामिल किया गया।

भारतीय वायु सेना के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (IAM) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा गहन चयन प्रक्रिया के बाद, उन्हें अंतिम चार अंतरिक्ष यात्रियों में शॉर्टलिस्ट किया गया।

2020 में, शुभ्रांशु और तीन अन्य चयनित अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस के स्टार सिटी, मॉस्को में यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर [Yuri Gagarin Cosmonaut Training Center] में अपना बुनियादी प्रशिक्षण शुरू किया। यह एक साल का कठोर प्रशिक्षण था, जिसने उन्हें अंतरिक्ष के वातावरण के लिए तैयार किया।

2021 में बुनियादी प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, वह भारत लौट आए और बेंगलुरु में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा में अपना प्रशिक्षण जारी रखा। इसी दौरान, उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान [Indian Institute of Science] से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री भी हासिल की।

27 फरवरी 2024 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी [Narendra Modi] ने आधिकारिक तौर पर शुभ्रांशु शुक्ला को भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान के लिए चुने गए अंतरिक्ष यात्रियों में से एक के रूप में घोषित किया। यह घोषणा तिरुवनंतपुरम में इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र [Vikram Sarabhai Space Centre] में की गई, जिसने भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा।

एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) [Axiom Mission 4 (Ax-4)]

शुभ्रांशु शुक्ला को एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) के लिए मिशन पायलट [mission pilot] के रूप में चुना गया था, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) [International Space Station] तक पहुंचना था।

यह मिशन NASA, SpaceX और ISRO के बीच एक महत्वपूर्ण सहयोग था, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष उड़ान सहयोग को मजबूत करना था।

25 जून 2025 को, एक्सिओम मिशन 4 ने फ्लोरिडा में NASA के कैनेडी स्पेस सेंटर [Kennedy Space Center] से सफलतापूर्वक उड़ान भरी। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि शुभ्रांशु शुक्ला ISS पर कदम रखने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री [Indian astronaut] बने।

वह 1984 में राकेश शर्मा [Rakesh Sharma] के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय भी हैं।

ISS पर पहुंचने के बाद, शुभ्रांशु शुक्ला ने भारत को संबोधित करते हुए एक भावुक संदेश दिया:

"नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियों! क्या शानदार यात्रा है! हम 41 साल बाद एक बार फिर अंतरिक्ष में वापस आ गए हैं। यह एक अद्भुत यात्रा है। हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से पृथ्वी का चक्कर लगा रहे हैं। मेरे कंधों पर लगा तिरंगा मुझे बताता है कि मैं आप सभी के साथ हूं। 

मेरी यह यात्रा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की शुरुआत नहीं, बल्कि भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है। मैं चाहता हूं कि आप सभी इस यात्रा का हिस्सा बनें। आपका सीना भी गर्व से फूलना चाहिए... साथ मिलकर, आइए भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत करें। जय हिंद! जय भारत!"

ISS पर रहते हुए, शुभ्रांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी बातचीत की। इसमें उन्होंने अंतरिक्ष से भारत के भव्य दृश्यों का वर्णन किया और बताया कि कैसे उन्होंने भारतीय व्यंजन, जैसे गाजर का हलवा और आम रस, अपने साथ ले गए थे, जिन्हें सभी ने पसंद किया।

उन्होंने यह भी बताया कि शून्य गुरुत्वाकर्षण में सोना चुनौतीपूर्ण था और वह स्टेम सेल [stem cell] पर प्रयोग सहित अपने वैज्ञानिक कार्यों को शुरू करने वाले हैं।

व्यक्तिगत जीवन [Personal Life]

शुभ्रांशु शुक्ला का विवाह कामना मिश्रा [Kamna Mishra] से हुआ है, जो पेशे से एक दंत चिकित्सक हैं और उनकी स्कूली सहपाठी भी थीं। इस जोड़े का एक बेटा भी है।

अपने खाली समय में, शुभ्रांशु शारीरिक व्यायाम करने और विज्ञान-संबंधी किताबें पढ़ने का आनंद लेते हैं। हाल ही में, उन्होंने ज्योतिष में भी रुचि विकसित की है, हालांकि वह खुद को एक अज्ञेयवादी [agnostic] मानते हैं।

उनका व्यक्तिगत जीवन उनके पेशेवर जीवन की तरह ही संतुलित और प्रेरणादायक है।

भविष्य की योजनाएं और भारत के लिए महत्व [Future Plans and Significance for India]

शुभ्रांशु शुक्ला का ISS मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम [India's space program] के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। वह न केवल वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग ले रहे हैं, बल्कि भारत के आगामी मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण ज्ञान और अनुभव भी प्राप्त कर रहे हैं।

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को बताया कि वह भारत के भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक स्पंज की तरह हर ज्ञान को आत्मसात कर रहे हैं।

उनकी यह यात्रा भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम [India's Human Spaceflight Programme] को नई गति प्रदान करेगी और देश को अंतरिक्ष अन्वेषण में एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी।

शुभ्रांशु शुक्ला की उपलब्धि भारत के युवाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) [Science, Technology, Engineering, and Mathematics (STEM)] के क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगी, जिससे देश के भविष्य के नवाचारों को बढ़ावा मिलेगा।

निष्कर्ष [Conclusion]

ग्रुप कैप्टन शुभ्रांशु शुक्ला की कहानी दृढ़ता, समर्पण और अदम्य भावना का एक शानदार उदाहरण है। लखनऊ के एक छोटे शहर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक की उनकी यात्रा, भारत के बढ़ते वैज्ञानिक कौशल और महत्वाकांक्षा का प्रतीक है।

ISS पर कदम रखने वाले पहले भारतीय के रूप में, उन्होंने इतिहास रच दिया है और लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं। उनकी उपलब्धि न केवल भारत के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि यह वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत के बढ़ते योगदान को भी रेखांकित करती है।

शुभ्रांशु शुक्ला जैसे नायक यह साबित करते हैं कि "आकाश कोई सीमा नहीं है, न मेरे लिए, न आपके लिए, और न ही भारत के लिए।" उनका योगदान भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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