इकबाल मसीह कौन था? , उम्र, माता पिता, मौत, फोटो, बच्चो को कहानी [who was Iqbal Masih, Pakistan boy story, age, family, death, photos, child story in hindi, emotional hindi story, iqbal child labor]
इकबाल मसीह नाम का एक युवा पाकिस्तानी लड़का था, जिसे चार साल की उम्र में बंधुआ मजदूरी (ऊन का काम) के लिए मजबूर किया गया था। दस साल की उम्र में वहा से निकलने के बाद, इकबाल बंधुआ बाल श्रम (छोटी उम्र के बच्चे) के खिलाफ एक कार्यकर्ता बन गया। वह अपने मकसद के लिए लड़ता रहा लेकिन 12 साल की उम्र में उसकी हत्या कर दी गई। यह एक सच्ची कहानी Iqbal child labor की है।
इकबाल मसीह की कहानी (Iqbal Masih story in Hindi)
इकबाल मसीह कौन था? (Who was Iqbal Masih?)
इकबाल मसीह का जन्म पाकिस्तान में लाहौर के बाहर एक छोटे से ग्रामीण गांव मुरीदके में हुआ था । इकबाल के जन्म के कुछ समय बाद ही उनके पिता सैफ मसीह ने परिवार को छोड़ दिया।
इकबाल की माँ, इनायत, एक घर की सफाई का काम करती थी, लेकिन अपनी छोटी सी आय से अपने सभी बच्चों को खिलाने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं कमा पाती थी।
इकबाल, जो अपने परिवार की समस्याओं को समझने के लिए बहुत छोटा था, अपना समय अपने दो कमरों के घर के पास के खेतों में खेलने में बिताता था।
जब उसकी माँ काम पर बाहर जाती थी, उसकी बड़ी बहनों ने उसकी देखभाल की। लेकिन महज चार साल की उम्र में उनकी जिंदगी में काफी बदलाव आया।
1986 में, इकबाल के बड़े भाई की शादी होनी थी और उनकी माता को भी किसी वजह से ऑपरेशन की आवश्यकता थी तो परिवार को पैसे की बहुत जरूरत थी।
उस समय पाकिस्तान में एक गरीब परिवार के लिए, पैसे उधार लेने का एकमात्र तरीका स्थानीय कारोबारियों से पूछना होता था। ये कारोबारी पैसों के बदले छोटे बच्चों को मजदूरी पर रखते थे।
मतलब एक छोटे बच्चे को बंधुआ मजदूरी के बदले परिवार को पैसे उधार देते थे। तो इसी तरह शादी के लिए भुगतान और ऑपरेशन करने के लिए, इकबाल के परिवार ने कालीन-बुनाई के व्यवसाय के मालिक से 600 रुपये (करीब 7 डॉलर) उधार लिए।
बदले में, इकबाल को पूरा कर्ज चुकाने तक कालीन बुनकर के रूप में काम करने भेज दिया। इस बच्चे की उम्र मात्र 4 साल थी जिसे कोई खबर नहीं थी की उसकी जिंदगी में क्या होने वाला था। क्युकी, बिना पूछे या सलाह लिए, इकबाल को उसके परिवार ने गुलामी में बेच दिया।
उधार (ऋण) चुकाने का तरीका भी अलग तरह का होता था; कारोबारी जैसे चाहे उधार की शर्त रखता था। कालीन बुनकर का हुनर सीखने के लिए इकबाल को पूरे साल बिना वेतन के काम करना पड़ा था।
इस पूरे दौर में, उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन की लागत और उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपकरण सभी मूल ऋण में जोड़े जाते थे, और अगर उसने गलती की, तो उस पर अक्सर जुर्माना लगाया जाता था, वो भी ऋण में जुड़ जाता था।
इन लागतों के अलावा, कर्ज और भी बड़ा हो गया क्योंकि कारोबारी ने ब्याज भी अपने हिसाब से जोड़ा। इन वर्षों में, इकबाल के परिवार ने उस कारोबारी से और भी अधिक कर्ज उधार लिया, जो कि इकबाल को काम करने के लिए ब्याज की राशि में जोड़ा गया था।
जब तक इकबाल दस साल का हुआ, तब तक कर्ज बढ़कर 13,000 रुपये (करीब 200 डॉलर) हो चुका था। यानी की आप अंदाजा लगा सकते है की कर्ज कितना बढ़ जाता होगा, इस वजह से गरीब परिवार और कर्जे में डूब जाता था, और यही हुआ इकबाल के परिवार के साथ।
इकबाल ने जिन परिस्थितियों में काम किया, वे भयानक थे। इकबाल और अन्य बंधुआ बच्चों को एक लकड़ी की बेंच पर बैठना पड़ता था और लाखों गांठों को कालीनों में बांधने के लिए आगे झुकना पड़ता था।
बच्चों को एक विशिष्ट पैटर्न का पालन करने, प्रत्येक धागे को चुनने और प्रत्येक गाँठ को ध्यान से बांधने की आवश्यकता थी। बच्चों को आपस में बात करने नहीं दिया जाता था।
यदि बच्चे विश्राम करते हैं, तो गार्ड उन्हें मारा करते थे। इकबाल सप्ताह में छह दिन काम करता था, दिन में कम से कम 14 घंटे। जिस कमरे में वह काम करता था वह बहुत गर्म था क्योंकि ऊन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए खिड़कियाँ को बंद रखा जाता था।
हाई वोल्टेज के लाइट बल्ब छोटे बच्चों के ऊपर लटके हुए थे। अगर बच्चे आपस में बात करते थे, भाग जाते थे, बीमार होते थे, कोई और दिक्कत होती थी, तो उन्हें दंडित किया जाता था। सजा में उनकी पिटाई, उनके पैरों में जंजीर बांध दी जाती थी, एक अंधेरे कोठरी में बंद करना, और उल्टा लटका दिया जाता था।
इकबाल भी बच्चा ही था तो अक्सर ऐसा करता था और उसे कई दंड मिलते थे। इस सब के लिए, इकबाल को उसका काम पूरा होने के एक दिन बाद 10-20 रुपये का भुगतान किया गया था, जो की दिखावा होता था ताकि कोई पूछे तो कारोबारी बता सके की पैसा मिलता है काम करने का।
एक बार तो इकबाल वहा से भाग निकला था और सारी बात एक पुलिसकर्मी को बता दी लेकिन कुछ पैसों की रिश्वत के लिए उसने इकबाल को वापस कारोबारी को दे दिया।
दूसरी बार भाग न पाए इसलिए उसे बांध के रखा और खूब पिटाई भी की थी। पता नही दुनिया में इतनी हैवानियत कहा से लोगो में आती है, जो बच्चो को इस तरह प्रताड़ित करते है।
एक कालीन बुनकर के रूप में छह साल काम करने के बाद, इकबाल ने एक दिन बंधुआ मजदूर लिबरेशन फ्रंट (बीएलएलएफ) की एक बैठक के बारे में सुना, जो बच्चों की मदद के लिए काम कर रहा था और इकबाल को यह भी पता चला कि पाकिस्तानी सरकार ने 1992 में बच्चो के काम करने को गैरकानूनी घोषित कर दिया था।
इसके अलावा, सरकार ने ऐसे सभी परिवारों के सभी बकाया ऋणों को माफ कर दिया था। इकबाल जानता था कि वह मुक्त होना चाहता है, इसी बीच मौका पाकर 6 साल वहा काम करने के बाद 10 साल की उम्र में इकबाल वहा से भाग निकला।
उन्होंने बीएलएलएफ के अध्यक्ष ईशान उल्लाह खान से बात की, जिन्होंने उन्हें उस कारोबारी को सजा दिलाने के लिए आवश्यक कागजी कार्रवाई करने में मदद की और वहा से फ्री करवाया। इकबाल ने केवल अपने आप को फ्री करवाया, बल्कि उस मासूम ने अपने साथी बच्चो को भी मुक्त करने के लिए काम किया।
आप सोच सकते है की इतनी नन्ही सी उम्र में उसे कितनी प्रताड़ना हुई होगी जिससे उसे इतनी समझ होने लगी की सबको वहा से निकलना है।
एक बार मुक्त होने के बाद, इकबाल को लाहौर के एक BLLF स्कूल में भेज दिया गया। इकबाल ने बहुत मेहनत से पढ़ाई की, चार साल का कोर्स सिर्फ दो में पूरा किया। स्कूल में, इकबाल की कौशलता तेजी से स्पष्ट हो गई और वह बंधुआ बाल श्रम के खिलाफ लड़ने वाले प्रदर्शनों और बैठकों में शामिल हो गया।
उन्होंने एक बार एक कारखाने के श्रमिकों में से एक होने का नाटक किया ताकि वह बच्चों से उनकी काम की परिस्थितियों के बारे में सवाल कर सकें। यह एक बहुत ही खतरनाक अभियान था, लेकिन उन्होंने जो जानकारी इकट्ठी की, उससे कारखाने को बंद करने और सैकड़ों बच्चों को मुक्त करने में मदद मिली।
इकबाल ने बीएलएलएफ की बैठकों में और फिर अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ताओं और पत्रकारों से बात करना शुरू किया। उन्होंने एक बंधुआ बाल मजदूर के रूप में अपने स्वयं के अनुभवों के बारे में बताया।
वह भीड़ से नहीं डरता था और इतने दृढ़ विश्वास के साथ बोलता था कि बहुत लोगो ने उस पर ध्यान दिया। एक बंधुआ बच्चे के रूप में इकबाल के छह साल ने उसे शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत परेशान किया था।
इकबाल के बारे में सबसे खास बात यह थी कि वह एक बेहद छोटा बच्चा था, अपनी उम्र में उसे जितना होना चाहिए था, उससे लगभग आधा। दस साल की उम्र में, वह चार फीट से कम लंबा था और उसका वजन मात्र 27 पाउंड था। उनके शरीर ने बढ़ना बंद कर दिया था, जिसे डॉक्टर्स ने "मनोवैज्ञानिक बौनापन" बताया है।
इकबाल गुर्दे की समस्याओं, एक घुमावदार रीढ़, ब्रोन्कियल संक्रमण और गठिया से भी पीड़ित थे। कई लोग कहते हैं कि दर्द के कारण चलने पर उनके पैरों का रूप भी बदल गया था।
कई मायनों में, इकबाल को एक वयस्क बना दिया गया था जब उसे एक कालीन बुनकर के रूप में काम करने के लिए भेजा गया था। लेकिन वह वास्तव में वयस्क नहीं था।
उन्होंने अपना बचपन खोया, लेकिन अपनी जवानी नहीं खोई। उनको रीबॉक ह्यूमन राइट्स अवार्ड लेने के लिए अमेरिका भी बुलाया गया था। इकबाल को कार्टून देखना पसंद था, खासकर बग्स बनी। उन्हें अमेरिका में रहते हुए कुछ कंप्यूटर गेम खेलने का भी मौका मिला था।
इकबाल की बढ़ती लोकप्रियता और प्रभाव के कारण उन्हें कई बार कारोबारियों द्वारा जान से मारने की धमकियां भी मिलीं। अन्य बच्चों को स्वतंत्र होने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, इकबाल ने धमकियों को नजरअंदाज कर दिया।
इकबाल को अमेरिका में रहने का ऑप्शन भी था लेकिन वो पाकिस्तान आना चाहता था। जब उसे पूछा की क्यों ऐसी जिंदगी में जाना चाहते हो जहा जान को खतरा है, तो इकबाल बोला :
मेरी जान से ज्यादा मेरा मकसद जरूरी है जो की दूसरे बच्चो की जान बचाना है।
इकबाल मसीह की मौत कैसे हुई? (Iqbal Masih death)
12 साल की उम्र में - रविवार, 16 अप्रैल, 1995 को, इकबाल अपने स्कूल जा रहा था।रास्ते में, किसी ने उन पर बन्दूक से गोली चलाई। इकबाल की तुरंत मौत हो गई। ज्यादातर लोग इस कहानी पर विश्वास नहीं करते हैं। बल्कि, ज्यादातर लोगो का मानना है कि कालीन उद्योग के कारोबारियों ने इकबाल के प्रभाव को नापसंद किया और उसे मारने का प्लान किया था। 17 अप्रैल 1995 को इकबाल को दफनाया गया था। उस समय लगभग 800 लोग थे।
Conclusion
बंधुआ बाल मजदूरी की समस्या आज भी जारी है। लाखों बच्चे, विशेष रूप से पाकिस्तान और भारत में, कारपेट, मिट्टी की ईंटें, बीड़ी (सिगरेट), गहने और कपड़े बनाने के लिए कारखानों में काम करते हैं, अगर हो सके तो कोशिश करे कोई बच्चा इस तरह की जिंदगी से ना गुजरे।
जरूर जरूर लोगो के साथ शेयर करे ताकि लोगो की आखें खुले और हो सकता है इसकी वजह से कही किसी बच्चे की जिंदगी बर्बाद होने से बच जाए और कॉमेंट में बताए आप जिंदगी में इसके खिलाफ कौनसा एक कदम उठाएंगे।