Glenn Cunningham बायो/विकी, जन्म, मौत, परिवार एवम् उनकी कहानी [Real story of glenn Cunningham in Hindi, birth, death and Runner]
हमने आज तक बहुत कहानियों को लिखा जिसमें बताया हैं की कैसे एक व्यक्ति असफल होने के बाद सफल हुआ जैसे जैक मा (Jack Maa) , लेकिन आज हम बात करेंगे ग्लेन कनिंघम (Glenn Cunningham) की जिसकी जीने तक की कोई उम्मीद नही थी ।
शायद आप मै से कही लोग इनको जानते तक नही होंगें लेकिन इनकी जिंदगी किसी चमत्कार से कम नही है।
ग्लेन कनिंघम विकी, बायोग्राफी (Glenn Cunningham hindi biography)
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ग्लेन कनिंघम कौन है ?
जन्मदिन, मृत्यु, उपलब्धियां
- जन्म: 4 अगस्त 1909
- मृत्यु: 10 मार्च 1988
- उपलब्धि : 1934, के समय का दुनिया का सबसे तेज दौडक ।
परिवार - माता पिता एवम् पत्नी
- पिता : हेनरी क्लिंटन कनिंघम
- माता : रोसा एग्नेस कनिंघम
- पत्नी : रूठ कनिंघम
Glenn Cunningham की कहानी
प्रारंभिक जीवन एवम् बचपन (Early life and Childhood)
7 साल की उम्र में जब Glenn Cunningham स्कूल मे पढ़ते थे तब उनके स्कूल में गैस लाइन फटने से एक आग दुर्घटना हो गयीं थी।
ग्लेन भी उस दुर्घटना के चपेट में आ गए थे और उनका शरीर बहुत हद तक जल चुका था और तब उनके शरीर को देख के यह मान लिया गया कि वह जीवित नहीं रहेगे।
डॉक्टरों ने भी उनकी माँ को यहा तक बता दिया था, कि उसकी मृत्यु निश्चित है, क्योंकि भयानक आग ने उनके शरीर के निचले आधे हिस्से को तबाह कर दिया था।
यहां तक कि अगर वह जीवित रहे, तो वह जीवन भर अपंग रहेगे, डॉक्टर की टीम का कहना था।
लेकिन बहादुर लड़का मरना नहीं चाहता था और उनकी मां ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी उसे बचाने ने में, आखिर डॉक्टर की बहुत कोशिश करने से वह बच गये।
अपंगता [disability]
लेकिन दुर्भाग्य से उसकी कमर से नीचे, उसके पास कोई मोटर क्षमता (हिलने की क्षमता) बिल्कुल नहीं थी।
उनके पतले पैर सिर्फ बेजान हो गए थे। इसलिए उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
Glenn Cunningham ने चलने का संकल्प ठान लिया था। घर में, जब वह बिस्तर पर नहीं होते थे, तो वह व्हीलचेयर तक ही सीमित थे।
उनको ऐसी जिंदगी बिल्कुल पसन्द नही थी इसलिए जब घर पे उनके आस पास कोई नही होता था क्युकी घर पे सब काम पे जाया करते थे और उनकी देखभाल करने जो होता था वो उनके बुलाने पर ही आता था।
इसी तरह खुद को अकेला पाकर कई बार, Glenn Cunningham कुर्सी से खुद को नीचे गिरा दिया करते और अपने आप को घास के ऊपर खींचने लगते अपने हाथो के चहारे,और अपने पैरों को शरीर के पीछे खींच लिया करते थे।
वो बाड़ तक पहुँच जाते, अपने आप को ऊपर उठाते और फिर अपने हिम्मत को दांव पर लगाते हुए रोजाना प्रैक्टिस करते थे, उन्होंने अपने आप को बाड़ के साथ घसीटना शुरू कर दिया।
उन्होंने चलने का संकल्प पूरी तरह ठान रखा था। उन्होंने हर दिन ऐसा किया, क्योकि उनको खुद पर विश्वास था कि वह बिना सहारे खुद चल पाएगे।
Glenn Cunningham की सफलता की कहानी
देखते ही देखते अपने दृढ़ता और अपने दृढ़ संकल्प के साथ, उन्होंने खड़े होने की क्षमता विकसित कर ली, फिर रुक-रुक कर चलने की, फिर खुद से चलने की और फिर दौड़ने की। इसके लिये उन्हें काफी महीने लगे।
फिर वे स्कूल भी खुद चलके जाने लगें जबकि उनका स्कूल घर से काफी दूरी पर था, उनको बहुत महीनो के बाद चलने की इतनी खुसी थी की कई बार तो दोड़ते हुए स्कूल जाया करते थे।
कैसे बने दुनिया के सबसे तेज धावक?

उन्होंने अपने स्कूल की रनिंग टीम में भाग लिया, कई बार असफल हुए लेकिन रुके नही।
आखिर बहुत कोशिश के बाद उनका सलेक्शन हो गया और लगातार आगे कोशिश करते रहे और कई स्कूल लेवल के गेम जीते।
बाद में कॉलेज में भी उन्होंने ट्रैक टीम में भाग लिया और राज्य लेवल तक जीते।
फरवरी 1934 में, न्यूयॉर्क शहर के प्रसिद्ध मैडिसन स्क्वायर गार्डन में, जिस युवा व्यक्ति के जीवित रहने की उम्मीद नहीं थी, जो निश्चित रूप से कभी किसी ने नहीं सोचा होगा।
जिसके कभी भी चलने की उम्मीद तक नहीं थी - यह दृढ़ संकल्पित युवा व्यक्ति, डॉ ग्लेन कनिंघम, दुनिया का सबसे तेज धावक बन गया।
Conclusion
स्वयं में सकारात्मक सोच और विश्वास की शक्ति का एक प्रतीक, ग्लेन कनिंघम कई लोगों के लिए प्रेरणा बने हुये है, और उनकी कहानी, एक शानदार गवाही है कि कैसे कोई भी वापस जिंदगी जी सकता है जब सभी बाधाये आपके खिलाफ हो, फिर भी जीता जा सकता हैं। सिर्फ मौत ही बेहतर विकल्प नही होता।
आपको Glenn Cunningham की जिंदगी कैसी लगी जरूर कॉमेंट में बताये।
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